Friday, January 17, 2020

Curative Petition (in Hindi) | क्यूरेटिव पेटिशन | सुधार याचिका | उपचारात्मक याचिका | क्या होती है क्यूरेटिव पिटीशन

क्या होती है क्यूरेटिव पिटीशन:

क्यूरेटिव पिटीशन को न्यायिक व्यवस्था में इंसाफ पाने के आखिरी उपाय के तौर पर जाना जाता है। ये आखिरी उपाय है, जिसके जरिए कोई अनसुनी रह गई बात या तथ्य को कोर्ट सुनती है। ये सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई व्यवस्था है, जो उसकी ही शक्तियों के खिलाफ काम करती है।
क्यूरेटिव पिटीशन में पूरे फैसले पर चर्चा नहीं होती है। इसमें सिर्फ कुछ बिन्दुओं पर दोबारा से विचार किया जाता है। कोर्ट में आखिरी ऑप्शन के तौर पर इसका इस्तेमाल किया जाता है। 

क्यूरेटिव पिटीशन और रिव्यू पिटीशन में अंतर:

क्यूरेटिव पिटीशन और रिव्यू पिटीशन में अंतर होता है। रिव्यू पिटीशन में कोर्ट अपने पूरे फैसले पर पुनर्विचार करती है, जबकि क्यूरेटिव पिटीशन में फैसले के कुछ बिंदुओं पर विचार किया जाता है। 
कोर्ट को अगर लगता है कि किसी मुद्दे या किसी बिंदु पर दोबारा से विचार करने की जरूरत है तो क्यूरेटिव पिटीशन के दौरान उस पर विचार होता है। 
सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन के दौरान अगर सुनवाई होती है और फांसी के दिन तक इस पर फैसला नहीं आता है तो फांसी की तारीख टल सकती है। 

न्याय व्यवस्था में कैसे आया क्यूरेटिव पिटीशन:

क्यूरेटिव पिटीशन रूपा अशोक हुर्रा बनाम अशोक हुर्रा के एक मामले से सामने आया। इस मामले में कोर्ट के सामने ये सवाल उठा कि क्या सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन खारिज हो जाने के बाद भी कोई उपाय है, जिसके जरिये आरोपी या दोषी व्यक्ति कोर्ट के सामने मामले पर एक बार और विचार करने का आग्रह कर सके। 
इस पर कोर्ट का कहना था कि न्यायिक व्यवस्था में किसी के साथ पक्षपात नहीं होना चाहिए। कोर्ट को अगर लगता है कि उसके ही फैसले की वजह से किसी भी तरह का पक्षपात हो रहा है तो वो इसके कुछ बिंदुओं पर दोबारा से विचार कर सकती है। इस तरह से क्यूरेटिव पिटीशन की व्यवस्था सामने आई।

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