Sunday, January 19, 2020

Caveat in Hindi | केवियट | केवियट क्या होता है | केवियट के प्राविधान | केवियट कौन दायर कर सकता है | केवियट का उद्देश्य

यदि किसी व्यक्ति को इस तरह की आशंका होती है कि किसी मामले को ले कर उस के विरुद्ध किसी न्यायालय में कोई वाद या कार्यवाही संस्थित करके अथवा पहले से संस्थित किसी वाद या कार्यवाही में कोई आवेदन प्रस्तुत करके कोई आदेश प्राप्त किया जा सकता है, तो ऐसी अवस्था में वह व्यक्ति अदालत में स्वयं सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 148-क के अंतर्गत आवेदन प्रस्तुत कर सकता है। इस आवेदन को केवियट (caveat) कहा जाता है।

केवियट की परिभाषा

'केवियट' शब्द को सिविल प्रक्रिया संहिता में कहीं भी परिभाषित नहीं किया गया है। केवियट एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है सावधान (Beware)’।

केवियट का प्राविधान

केवियट को सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 की धारा 148-क के तहत समझाया गया है। सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 की धारा 148-क के अनुसार - 'केवियट दायर करने का अधिकार- जहाँ किसी न्यायालय में संस्थित या शीघ्र ही संस्थित होने वाले किसी वाद या कार्यवाही में किसी आवेदन का किया जाना प्रत्याशित है या कोई आवेदन किया गया है वहां कोई व्यक्ति जो ऐसे आवेदन की सुनवाई में न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने के अधिकार का दवा करता है उसके बारे में केवियट दायर करेगा।'

केवियट कब लागू हुआ

केवियट की धारा सिविल प्रक्रिया संहिता (संशोधन) अधिनियम, 1976 के द्वारा इस संहिता में जोड़ी गयी है। जिसके पूर्व इस धारा के समान अन्य उपबंध इस संहिता में नहीं थे। यह धारा दिनांक 1 मई, 1977 से प्रभावशील की गयी है।

केवियट का उद्देश्य

सिविल प्रक्रिया संहिता में केवियट की धारा जोड़े जाने का उद्देश्य यह था कि सम्बंधित पक्षकार किसी पक्षकार के द्वारा उसकी अनुपस्थिति में एक पक्षीय आदेश न्यायालय द्वारा प्राप्त नहीं कर सकें। यह धारा पक्षकारों को उचित न्याय प्राप्त हो सके, इसका ध्यान रखते हुए निर्मित की गयी है। इस धारा के उपबंध केवल विचारण न्यायालय तक ही सीमित नहीं हैं। इनका उपयोग अपील न्यायालय में भी किया जा सकता है।

केवियट कौन दायर कर सकता है

केवियट किसी भी व्यक्ति द्वारा अदालत में पेश होने के अधिकार का दावा करते हुए दायर किया जा सकता है, जहां व्यक्ति को इस तरह की आशंका होती है कि किसी मामले को ले कर उस के विरुद्ध किसी न्यायालय में कोई वाद या कार्यवाही संस्थित करके अथवा पहले से संस्थित किसी वाद या कार्यवाही में कोई आवेदन प्रस्तुत करके कोई आदेश प्राप्त किया जा सकता है।

केवियट में दी जाने वाली जानकारी

केवियट याचिका में निम्न जानकारी शामिल होनी चाहिए-
1) उस अदालत का नाम जहां केवियट दायर की जा रही है
2) मुकदमा या याचिका या अपील नंबर यदि विद्यमान है
3) केवियटर का नाम
4) मुकदमा या अपील दायर किए जाने की संभावना का संक्षिप्त विवरण
5) संभावित अपीलकर्ताओं या वादी के नाम
6) जब दायर किया जाता है तो नोटिस की सेवा के लिए केवियटर का पता

केवियट स्वीकार करने के बाद की प्रक्रिया

अदालत द्वारा केवियट स्वीकार करने के बाद, जिसके द्वारा केवियट दायर किया गया है, यदि उसके द्वारा अपेक्षित कोई भी मामला दायर किया जाता है, तो कानून के अनुसार, न्यायालय केवियटर (केवियट दायर करने वाला व्यक्ति) को नोटिस देगा।

केवियट की मियाद 

केवियट की अवधि 90 दिन रखी गयी है। 90 दिन के पश्चात केवियट निष्प्रभावी हो जायेगा। इसके पश्चात आवश्यकता होने पर पुनः नया केवियट प्रस्तुत किया जा सकता है।  


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