आपातकाल (Emergency) के प्राविधान भारत के संविधान के भाग XVIII में अनुच्छेद (Article) 352 से 360 तक निहित हैं। इनमें अनुच्छेद 360 में देश में वित्तीय आपातकाल (Financial Emergency) का प्राविधान है। यह प्राविधान केंद्र सरकार को किसी भी असामान्य आर्थिक स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटने में सक्षम बनाता है। तो आइये इस लेख के माध्यम से वित्तीय आपातकाल के बारे में निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण बातें समझते हैं -
1. वित्तीय आपातकाल (Financial Emergency) क्या होता है?
2. वित्तीय आपातकाल की उद्घोषणा करने के क्या आधार हो सकते हैं?
3. वित्तीय आपातकाल की उद्घोषणा कौन कर सकता है?
4. क्या वित्तीय आपातकाल की उद्घोषणा का संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदन आवश्यक है?
5. वित्तीय आपातकाल की मियाद क्या होगी?
6. वित्तीय आपातकाल की उद्घोषणा के क्या प्रभाव हैं?
7. भारत में पूर्व में वित्तीय आपातकाल कब लगाया गया?
1. वित्तीय आपातकाल (Financial Emergency) क्या होता है?
भारत के संविधान के अनुछेद 360 में वित्तीय आपातकाल के बारे में प्राविधान दिया गया है। अनुच्छेद 360 के अनुसार यदि राष्ट्रपति का यह समाधान हो जाता है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिससे भारत या उसके राज्यक्षेत्र के किसी भाग का वित्तीय स्थायित्व या प्रत्यय संकट में है तो वह उद्घोषणा द्वारा इस आशय की घोषणा कर सकेगा।
2. वित्तीय आपातकाल की उद्घोषणा करने के क्या आधार हो सकते हैं?
3. वित्तीय आपातकाल की उद्घोषणा कौन कर सकता है?
4. क्या वित्तीय आपातकाल की उद्घोषणा का संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदन आवश्यक है?
5. वित्तीय आपातकाल की मियाद क्या होगी?
6. वित्तीय आपातकाल की उद्घोषणा के क्या प्रभाव हैं?
7. भारत में पूर्व में वित्तीय आपातकाल कब लगाया गया?
1. वित्तीय आपातकाल (Financial Emergency) क्या होता है?
भारत के संविधान के अनुछेद 360 में वित्तीय आपातकाल के बारे में प्राविधान दिया गया है। अनुच्छेद 360 के अनुसार यदि राष्ट्रपति का यह समाधान हो जाता है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिससे भारत या उसके राज्यक्षेत्र के किसी भाग का वित्तीय स्थायित्व या प्रत्यय संकट में है तो वह उद्घोषणा द्वारा इस आशय की घोषणा कर सकेगा।
2. वित्तीय आपातकाल की उद्घोषणा करने के क्या आधार हो सकते हैं?
भारत के संविधान के अनुछेद 360 के अंतर्गत यदि राष्ट्रपति का यह समाधान हो जाता है कि देश में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसके कारण भारत की वित्तीय स्थिरता को खतरा है, तो वित्तीय आपात की घोषणा करेगा, जिसके निम्न आधार हो सकते है-
भारत के संविधान के अनुछेद 360 के अंतर्गत यदि राष्ट्रपति का यह समाधान हो जाता है कि देश में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसके कारण भारत की वित्तीय स्थिरता को खतरा है, तो वित्तीय आपात की घोषणा करेगा, जिसके निम्न आधार हो सकते है-
- यदि देश की या उसके किसी राज्य्क्षेत्र के किस भाग की वित्तीय स्थिरता या प्रत्यय संकट में है,
- यदि देश की सरकार के पास धन की कमी के कारण दिवालिया होने की स्थिति हो,
- यदि देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त होने की स्थिति पर हो,
- यदि देश में आर्थिक मंदी बहुत नीचे पहुँच गयी हो, एवं अन्य कारण।
3. वित्तीय आपातकाल की उद्घोषणा कौन कर सकता है?
भारत के संविधान के अनुछेद 360 के अंतर्गत राष्ट्रपति को वित्तीय आपातकाल की घोषणा करने का पूर्ण अधिकार प्राप्त है। यदि राष्ट्रपति संतुष्ट है कि देश में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसके कारण भारत की वित्तीय स्थिरता, भारत की साख या उसके क्षेत्र के किसी भी हिस्से की वित्तीय स्थिरता को खतरा है, तो वह केंद्र की सलाह पर वित्तीय आपातकाल की घोषणा कर सकता है।
यहाँ एक बात का उल्लेख करना आवश्यक है कि 1978 के 44 वें संविधान संशोधन अधिनियम में यह प्रावधान किया गया है कि राष्ट्रपति की ‘संतुष्टि’ न्यायिक समीक्षा से परे नहीं है, अर्थात सुप्रीम कोर्ट इसकी समीक्षा कर सकता है।
4. क्या वित्तीय आपातकाल की उद्घोषणा का संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदन आवश्यक है?
जिस दिन राष्ट्रपति, वित्तीय आपातकाल की घोषणा करता है उसके दो माह के अंदर ही इसको संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए। राज्य सभा व लोक सभा दोनों सदनों द्वारा इस वित्तीय उद्घोषणा को अनुमोदित कर दिया जाता है, तो वित्तीय आपातकाल अनिश्चित काल तक प्रभावी रहेगा जब तक कि इसे वापस न ले लिया जाये।
5. वित्तीय आपातकाल की मियाद क्या होगी?
एक बार संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित किए जाने के बाद, वित्तीय आपातकाल अनिश्चित काल तक जारी रहता है, जब तक कि इसे राष्ट्रपति द्वारा हटाया नहीं जाता है। इसके बारे में दो प्रावधान है-
एक बार संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित किए जाने के बाद, वित्तीय आपातकाल अनिश्चित काल तक जारी रहता है, जब तक कि इसे राष्ट्रपति द्वारा हटाया नहीं जाता है। इसके बारे में दो प्रावधान है-
- इसके संचालन के लिए कोई अधिकतम अवधि निर्धारित नहीं है;
- इसकी निरंतरता के लिए बार-बार संसदीय अनुमोदन की आवश्यकता नहीं है।
6. वित्तीय आपातकाल की उद्घोषणा के क्या प्रभाव हैं?
- वित्तीय आपातकाल के दौरान केंद्र के कार्यकारी अधिकार का विस्तार हो जाता है और वह किसी भी राज्य को अपने हिसाब से वित्तीय आदेश दे सकता है।
- राज्य की विधायिका द्वारा पारित होने के बाद राष्ट्रपति के विचार के लिए आये सभी धन विधेयकों या अन्य वित्तीय बिलों को रिज़र्व रखा जा सकता है।
- राज्य में नौकरी करने वाले सभी व्यक्तियों या वर्गों के वेतन और भत्ते में कमी की जा सकती है।
- राष्ट्रपति, निम्न व्यक्तियों के वेतन एवं भत्तों में कमी करने का निर्देश जारी कर सकता है- संघ की सेवा करने वाले सभी व्यक्तियों या किसी भी वर्ग के लोग एवं उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशगण।
7. भारत में पूर्व में वित्तीय आपातकाल कब लगाया गया ?
भारत में स्वतंत्रता के 73 वर्ष में वित्तीय आपातकाल की घोषणा कभी भी नहीं की गयी। इससे पहले भारत में 1991 में गंभीर वित्तीय संकट उत्पन्न हुआ था किन्तु उस दौरान भी वित्तीय आपातकाल की घोषणा नहीं की गई थी।
उम्मीद करता हूँ कि आपको यह लेख पसंद आया होगा। यदि आपके मन में इससे संबंधित कोई भी प्रश्न हो तो Comment करके हमें अवश्य बताएं।
भारत में स्वतंत्रता के 73 वर्ष में वित्तीय आपातकाल की घोषणा कभी भी नहीं की गयी। इससे पहले भारत में 1991 में गंभीर वित्तीय संकट उत्पन्न हुआ था किन्तु उस दौरान भी वित्तीय आपातकाल की घोषणा नहीं की गई थी।
उम्मीद करता हूँ कि आपको यह लेख पसंद आया होगा। यदि आपके मन में इससे संबंधित कोई भी प्रश्न हो तो Comment करके हमें अवश्य बताएं।
very useful and clear description of Financial Emergency
ReplyDeleteGood
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